रमणी क्या रमणीय ऐसे लोचन बसा है आम्र जैसे रमणी क्या रमणीय ऐसे लोचन बसा है आम्र जैसे
प्रथम प्रेम और स्पर्श पहचाना आंखें बंद किए मां की गोदी में। प्रथम प्रेम और स्पर्श पहचाना आंखें बंद किए मां की गोदी में।
नव विहान का लेकर संदेशा भास्कर नभ पर शोभित है! नव विहान का लेकर संदेशा भास्कर नभ पर शोभित है!
उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे
मैं जीना सीख गई हूं मैं अपनी कहानी से सन्तुष्ट हूं । मैं जीना सीख गई हूं मैं अपनी कहानी से सन्तुष्ट हूं ।
खुदको साबित करके उड़ाने है सबके होश। खुदको साबित करके उड़ाने है सबके होश।